क्या बोले तस्वीर १८
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जब भी देखती हूँ
दीपों की रोशनी
तो सोचती हूँ
काश,
मैं भी बन जाऊँ
दीपक जैसी
जहाँ भी जाऊँ
रोशनी फैलाऊँ
सभी की जिन्दगी से
गमों के अन्धेरे को
दूर भगाकर सभी की
जिन्दगी को खुशियों से
रोशन कर पाऊँ
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गरिमा
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जब भी देखती हूँ
दीपों की रोशनी
तो सोचती हूँ
काश,
मैं भी बन जाऊँ
दीपक जैसी
जहाँ भी जाऊँ
रोशनी फैलाऊँ
सभी की जिन्दगी से
गमों के अन्धेरे को
दूर भगाकर सभी की
जिन्दगी को खुशियों से
रोशन कर पाऊँ
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गरिमा
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