Monday 27 January, 2014

अमावस का चाँद
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जब मैने खोली
इस दुनिया मे आँखे
वो रोते से मुस्कुरायी
मुझे सीने से
लगाकर उसने
दुनिया कि नयाब
खुशी पायी
फिर क्या
मै बढ़्ने लगी
पूनम के चाँद
की तरह
उसने हर पल
मेरा साथ दिया
मेरे हमसाये कि तरह
मेरी खुशी मे
मुस्कुराती थी
मेरे गम मे
सिसकिया भरती थी
पर मुझे कभी कमजोर
नही पड़्ने देती  थी
हर पल मेरी जिंदगी मे
करती थी चाँदनी सी रोशनी
उसके जिंदगी लगती
कितनी आसान थी
मै मुसीबत शब्द
से अंजान थी
हर पल मेरी
हिम्मत बढ़ाती थी
निराशा मे भी
आशा जगती थी
आज भी हर पल
मुझे थामे रहती है
मेरी बाते भी सुनती है
पर ना बोलती है
ना नजर आती है
अमावस के चाँद
कि तरह
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गरिमा
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