Tuesday 28 January, 2014

कितना  नादान है
इन्सान
अगले पल का
पता नही
सपने सजाता है
आने वाले कल के
क्या होगा
आने वाले पल मे
सिर्फ जानता
वो खुदा है
जिसने लिखी है
तकदीर हमारी
चलो आज के संग
ना देखो
सपने कल के
जो वो खुदा दे
उसे अपनाओ
पूरे मन से
उसकी मर्जी को
अपनी मर्जी बनाओ
फिर देखो
कैसे तुम
हर पल
खुशियो को पाओ
मायूसी और उदासी से
हमेशा के लिये
पीछा छुड़ाओ
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गरिमा
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