Monday 3 June, 2013

धरती पे ईश्वर का रूप है पिता
दुःख के समय सुहानी धूप है पिता
हमारे सुख के खातिर पल पल कष्ट उठाते है
अपनी हर तकलीफ हमसे छुपाते पिता

-------------------------------गरिमा --------------------------------
आसान दिखने वाला मार्ग आसान नही होता
एक पल में कोई अपना नही होता
मुशिकले तो आती है जिन्दगी में
जिन्दगी का हर मोड़ आसान नही होता
गरिमा कान्सकार

वक्त के हिसाब से बदलना जरुरी है
जीवन के हर सांचे में ढलना जरुरी है
वक्त की आंधी जाने ले जायेगी कंहा
वक्त के साथ चलना जरुरी है
--------------------------गरिमा कान्सकार -----------------
 
नमस्कार मित्रो ,आप सभी को मदर्स डे की ढेर सारी शुभकामनाये माँ शब्द अपने आप में इतना विशाल और विस्तृत है की माँ के बार जितना कहा जाये और लिखा जाये कम है हमने अपने भावो को शब्दों में पिरोकर आपके समक्ष रखने को कोशिश की है

माँ तो माँ होती है
ुख दुःख की साझी
प्यारी सहेली होती है
न तो सगी होती
न तो सौतेली होती है
माँ तो माँ होती है
फिर क्यों पुकारा
जाता है उसे सगी
और सौतेली के नामों से
माँ तो सागर है प्यार का
जिसकी हर लहर प्रेम से
सजीली होती है
ममता की फुहार है माँ
क्या अपना क्या पराया
के भेद से परे है माँ
फिर क्यों दुनिया
ना जाने प्रेम को उसके
समझे कुनैन
की कडवी गोली होती है
जननी से ज्यादा हक़
है लालन पालन करने
वाली माँ का तभी तो
पूजा जाता है माँ यशोदा को
माँ सिर्फ प्रेम की बोली होती है
माँ के चरणों में होता स्वर्ग
माँ सिर्फ होती है खालिस माँ
स्नेह से स्निग्ध ममतामई
निस्वार्थ प्रेम की गोली होती है .......
गरिमा
 
जो रिश्ता बनता है मज़बूरी से
ज्यादा दिन नही टिकता मजबूती से
हो जाता मजबूर टूटने को
न बनाये रिश्ते मजबूरी से
गरिमा