बचपन
बचपन के दिन थे
कितने सुहाने
बीत गये वो
पल सुहाने
फिर न आयेगे
वो पल प्यारे
अपनी ही मस्ती
में जीना
कुछ भी खाना
कही भी सोना
हर पल को
जी भर के जीना
पल में रूठना
पल में मान जाना
ना चिंता ना परेशानी
बस शैतानी
थोड़ी नादानी
हर पल को
जीना जिंदगानी
बारिश में
कागज की
नाव चलाना
भजिया और
जलेबी खाना
हर पल को
जीना जी भर के
बीत गये जो
पल सुहाने
फिर न आयेगे
वो पल प्यारे
गरिमा
बचपन के दिन थे
कितने सुहाने
बीत गये वो
पल सुहाने
फिर न आयेगे
वो पल प्यारे
अपनी ही मस्ती
में जीना
कुछ भी खाना
कही भी सोना
हर पल को
जी भर के जीना
पल में रूठना
पल में मान जाना
ना चिंता ना परेशानी
बस शैतानी
थोड़ी नादानी
हर पल को
जीना जिंदगानी
बारिश में
कागज की
नाव चलाना
भजिया और
जलेबी खाना
हर पल को
जीना जी भर के
बीत गये जो
पल सुहाने
फिर न आयेगे
वो पल प्यारे
गरिमा
No comments:
Post a Comment