एक सवाल कि
आखिर क्यों तोड़ते है हम
अपने बूढ़े माँ बाप की उम्मीद,
क्या इसी दिन के लिए
वे हमे उंगली पकड़ के
चलना सिखाते है?
खुद भूखे रहकर
हमे खिलाते है,
वीमार है हम
जागते है वो रातो को....
इम्तिहान हमारे
जागते है वे
अपने सपने तोड़कर,
हमारे सपने सच करते है
इसी उम्मीद में कि
जब वे बूढ़े हो जायेगे
तो उनके बच्चे
उन्हें सहारा देंगे....
अपनी उंगली
पकड़कर चलायेगे,
वीमार होगे
तो इलाज कराएगे.....
उनका ख्याल रखेगे
लेकिन क्यों तोड़ देते है
उनकी ये उम्मीद?
क्यों.........आखिर क्यों???
- गरीमा
आखिर क्यों तोड़ते है हम
अपने बूढ़े माँ बाप की उम्मीद,
क्या इसी दिन के लिए
वे हमे उंगली पकड़ के
चलना सिखाते है?
खुद भूखे रहकर
हमे खिलाते है,
वीमार है हम
जागते है वो रातो को....
इम्तिहान हमारे
जागते है वे
अपने सपने तोड़कर,
हमारे सपने सच करते है
इसी उम्मीद में कि
जब वे बूढ़े हो जायेगे
तो उनके बच्चे
उन्हें सहारा देंगे....
अपनी उंगली
पकड़कर चलायेगे,
वीमार होगे
तो इलाज कराएगे.....
उनका ख्याल रखेगे
लेकिन क्यों तोड़ देते है
उनकी ये उम्मीद?
क्यों.........आखिर क्यों???
- गरीमा
No comments:
Post a Comment