एकाकीपन
अब नही भाती हैं
मुझे भीड़ भाड़
अक्सर भीड़ में
मुझे अकेलेपन का
एहसास होता है
जो मुझे ना
जीने देता है
नजे मरने देता हैं
हा मुझे भाने लगा है
एकाकीपन
जिसमें मिलने लगा है
मुझे अपना पन
तुम्हारी यादों
में ऐसे खोया
रहता हूँ
पता ही नही चलता कब
सुबह होती है
कब शाम होती है
कब दिन ढल जाता है
कब रात हो जाती है
इससे बाहर आने का दिल नही
होता है
बस लगता है
ये वक्त कभी न बीते.....
गरिमा
डिण्डोरी
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