Thursday 26 April, 2018

Ekakipan


एकाकीपन

अब नही भाती हैं
मुझे भीड़ भाड़
अक्सर भीड़ में
मुझे अकेलेपन का
एहसास होता है
जो मुझे ना
जीने देता है
नजे मरने देता हैं
हा मुझे भाने लगा है
एकाकीपन
जिसमें मिलने लगा है
मुझे अपना पन
तुम्हारी यादों
में ऐसे खोया
रहता हूँ
पता ही नही चलता कब
सुबह होती है
कब शाम होती है
कब दिन ढल जाता है
कब रात हो जाती है
इससे बाहर आने का दिल नही
होता है
बस लगता है
ये वक्त कभी न बीते.....

गरिमा
डिण्डोरी

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