Thursday 26 April, 2018

जाने कब
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जाने  कब
बदलेगी लोगो
की ये मानसिकता
की स्त्री वस्तु
नही है
भोग की
वो है
इक इंसान
उसमे भी जान है
वो भी सांस लेती है
हँसती है
रोती है
उसके भी
कुछ सपने
कुछ अरमान है
हमे करना
जिनका सम्मान है
उसे देना होगा
ऐसा आसमान
जिससे वो
पूरा कर सके
सपने सपनो
का जहान
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गरिमा
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