Thursday 31 August, 2017

अपने आपको सदा ही नायाब लिख
हो सके तो जिंदगी को ख्वाब लिख

जिंदगी तो रिश्तों से ही चलती रही
कुछ वक्त तू अपना अहबाव लिख

ख़ुशी और गम हिस्सा है जिंदगी का
हर पल तू होंठो पे शादाब लिख

दर्द हर किसी का गहरा यहाँ पर
आँखों में ही तू दर्द का गिर्दाब लिख

इल्म तो सबको होता है झूठ का
तू आगे आकर सच का सैलाब लिख


गरिमा

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