अपने आपको सदा ही नायाब लिख
हो सके तो जिंदगी को ख्वाब लिख
जिंदगी तो रिश्तों से ही चलती रही
कुछ वक्त तू अपना अहबाव लिख
ख़ुशी और गम हिस्सा है जिंदगी का
हर पल तू होंठो पे शादाब लिख
दर्द हर किसी का गहरा यहाँ पर
आँखों में ही तू दर्द का गिर्दाब लिख
इल्म तो सबको होता है झूठ का
तू आगे आकर सच का सैलाब लिख
गरिमा
हो सके तो जिंदगी को ख्वाब लिख
जिंदगी तो रिश्तों से ही चलती रही
कुछ वक्त तू अपना अहबाव लिख
ख़ुशी और गम हिस्सा है जिंदगी का
हर पल तू होंठो पे शादाब लिख
दर्द हर किसी का गहरा यहाँ पर
आँखों में ही तू दर्द का गिर्दाब लिख
इल्म तो सबको होता है झूठ का
तू आगे आकर सच का सैलाब लिख
गरिमा
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