Sunday 29 September, 2013

      


थोड़ी नोक झोक
थोड़ी तक्र्रार
से बढ़्ता है
प्यार............

कभी कभी
बढ़  जाती है
इतनी तक्ररार
कि खत्म हो जाता है
प्यार.............

रह जाती है
दोनो के बीच
एक लम्बी खामोशी
जिससे होती है
दोनो को परेशानी

तुम जा रहे थे
रुठ कर मुझ्से
मै मनाना चाहती थी
बहुत कुछ कह्ना
चाहती थी तुझ्से

पर कुछ कह
ही नही पायी तुम्हे
बस शून्य सी
देखे जा रही थी तुम्हे

सोच रही थी
तुम एक बार
पलटकर देखोगे
और मुझ्से
दूर जा नही पाओगे

पर ऐसा हुआ नही
तुम चले गये
और छोड़ गये
हमारे बीच एक
लम्बी खामोशी

गरिमा कान्सकार

No comments:

Post a Comment