Sunday 6 October, 2013



हर पल दौड़्ती
हर पल भागती
तेज रफ्तार से
चलती है जिंदगी

सभी है अपने
काम  मे इतने व्यस्त
किसी के पास
किसी के लिये नही है वक्त

घर पर होते हुए भी
कोई नही होता है
अपनो के साथ
सब थामे होते है
मोबाइल का हाथ

या तो थामे होते है
इंटरनेट का दामन
जब होता है कोई काम
तो याद आता है
अपनो का दामन

इस दुनीया मे
ना तो कोई सुनता है मुझे
न तो कोई
समझता है मुझे

वो खुदा है
जो मुझे सुनता भी है
समझता भी है
हर पल मुझमे
नई ऊर्जा भरता भी है

उसकी रोशनी
रोशन करती है मुझे
हर गम से
बचती है मुझे

ए खुद तुझसे
और मांगू क्या
तुने मुझे
सब कुछ दिया
दोनो हाथ उठाकर
करता हूँ तेरा शुक्रियाँ

              गरिमा







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