हर पल दौड़्ती
हर पल भागती
तेज रफ्तार से
चलती है जिंदगी
सभी है अपने
काम मे इतने व्यस्त
किसी के पास
किसी के लिये नही है वक्त
घर पर होते हुए भी
कोई नही होता है
अपनो के साथ
सब थामे होते है
मोबाइल का हाथ
या तो थामे होते है
इंटरनेट का दामन
जब होता है कोई काम
तो याद आता है
अपनो का दामन
इस दुनीया मे
ना तो कोई सुनता है मुझे
न तो कोई
समझता है मुझे
वो खुदा है
जो मुझे सुनता भी है
समझता भी है
हर पल मुझमे
नई ऊर्जा भरता भी है
उसकी रोशनी
रोशन करती है मुझे
हर गम से
बचती है मुझे
ए खुद तुझसे
और मांगू क्या
तुने मुझे
सब कुछ दिया
दोनो हाथ उठाकर
करता हूँ तेरा शुक्रियाँ
गरिमा
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