Friday 14 February, 2014

तिनका तिनका जोड़ के
 बरसो मे बनते है रिश्ते
हवा के इक झोके से
पल मे बिखरते है रिश्ते

कोई हो कितना भी अजीज
चाहे हो कितना भी मीत
एक गलती से ढह जाती है
कितने भी मजबूत रिश्तो की इमारत

रिश्ते आपसी समझ और
विश्वास पर टिके होते है
विश्वास टूटा तो रिश्ता टूटा
टूट जाता है इंसान
बिखर जाता है इंसान
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गरिमा
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3 comments:

  1. बहुत शानदार रचना....
    वर्ड व्हेरिफिकेशन को कृपया हटा देवें

    सादर....

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  2. आपकी लिखी रचना बुधवार 19/02/2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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